Wednesday 6 February 2019

" तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा  "
 साब, अगर खून ही दे दिया,
तो आज़ादी लेकर क्या करूंगा !!
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" जानिये आपकी मृत्यु कब और कैसे होगी ? "
भाई साब, मैं तो न जाने कितनी बार मर चुका हूँ,
अब और क्या मरूंगा ?
" लेकिन, आप तो ज़िन्दा हैं ! "
अरे, ये जीना भी कोई जीना है, लल्लू !! आंय.

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अवार्ड/पुरस्कार तो एक खिलौना है,
पापा ने दिया था खेलने को,
जब तक चाहा खेला,
जब मन भर गया तब फेंक दिया,
फिर जब मन करेगा,
उसी से खेलने लगूंगा,
मुझे भी एक अवार्ड दिला दो न ! पापा.

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कलम,
स्याही वाली ?
मना है !
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मेरी असहिष्णुता तुम्हारी असहिष्णुता से अच्छी है.
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दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जी के लिए.

महिलाओं पर बढती हुई, अपराधों की सीमाएं,
नगरवासियों के मस्तक पर चिंता की रेखाएं,
अपराध-नियंत्रण हेतु मान्यवर, यह नुस्खा अपनाएं,
सम-विषम फार्मूले को, कुछ इस तरह चलवाएं,
दिल्ली की सड़कों पर, एक दिन सिर्फ पुरुष चलें,
दुसरे दिन पुरुष हों वर्जित, चलें केवल महिलाएं,
ऑड-ईवन योजना के अंदर, छूट भी दिलवाएं,
वी.वी.आई.पी., मंत्रियों हेतु बंदिश ये हटवाएं,
रुक जाएगी ईव-टीजिंग, रेप की घटनाएं,
सब देंगे धन्यवाद आपको, देंगे सभी दुआएं.

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ज्यादा मुश्किल नहीं है,
और खर्चीला भी नहीं,
बस, स्याही फेंको,
और फेमस हो जाओ.
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क्या आप जानना चाहते हैं कि जिस समाज-सोसाइटी में आप रहते है, वहाँ आपकी कुछ औकात है भी या नहीं, आपका एक न्यूनतम सम्मान है भी, या नहीं ? इसको मापने का एक सरल तरीका है. क्या आपको नववर्ष के अवसर पर किसी ने आपको एक उम्दा डायरी या एक बढ़िया कैलेण्डर ( साधारण नहीं ) गिफ्ट दिया है ? यदि इसका उत्तर हाँ है, तब तो ठीक है. लेकिन यदि आपको इतना भी नहीं प्राप्त हुआ है, तो चाहे आप स्वयं के बारे में कितनी भी डींग हांकते हों, समाज में आप कौड़ी के तीन हैं. वैसे, जहाँ तक मेरा सवाल है, कि इस कसौटी पर मेरी क्या स्थिति है. तो मैं यह नहीं बता सकता हूँ, क्योंकि यह मेरा बेहद निजी मामला है.
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पहले पुरस्कार वापसी,
फिर, पुरस्कार वापसी की वापसी,
कैसा है ये खेल आपसी !!

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कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते,
घिस-घिस गयी हैं जूतियाँ मेरी,
देर से सुनवाई का मज़ा भी खूब है !
जमाने गुज़र गए उनको मनाने में,
उनकी बेरुखाई का मज़ा भी खूब है.

कड़ाके की ठंढ का मज़ा भी खूब है,
हीटर, गीजर, रजाई का मज़ा भी खूब है,
घने कोहरे ने छिपा लिया है सूरज को,
गोंद की मिठाई का मज़ा भी खूब है.


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आज मेरे साथ, हुआ एक हादसा,
मेरे जितने ही एक बुज़ुर्ग आदमी ने,
मुझे बोला " ताऊ "
जी में तो आया कि पूछूँ,
कि किधर से दिखा मैं तेरा ताऊ,
अभी कान के नीचे कस के एक बजाऊँ!
और तुझे ज़िन्दगी से कर दूँ चलताऊ!
लेकिन मैं सहिष्णु था,
इसलिए सब सह गया,
अपने आप में रह गया।
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********************  यदुवंश  ********************

भारतीय इतिहास में यदुवंश बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस वंश का महत्व इसलिये भी अधिक है क्योंकि इसी वंश में श्री कृष्ण का आविर्भाव हुआ था जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। यदुवंश की उत्पत्ति चन्द्रवंश के एक वंशकर राजा से हुई जिसका नाम यदु था। जिस प्रकार वैवस्वत मनु के अनेक पुत्रों में से इक्ष्वाकु नामी एक पुत्र से मानव अथवा सूर्यवंश की स्थापना हुई, उसी प्रकार किसी अन्य मनु की पुत्री इला के माध्यम से ऐल अथवा चन्द्रवंश की परम्परा चली। चन्द्रवंश में ययाति नाम का एक बड़ा प्रतापी और दिग्विजयी राजा हुआ है। पुराणों में उसके चक्रवर्ती सम्राट होने का उल्लेख है। ययाति के पाँच पुत्र थे  - यदु , तुर्वसु , द्रुह्यु , अनु  और पुरु। ययाति के सबसे छोटे पुत्र को प्रतिष्ठान का राज्य मिला और उसके वंशज पौरव कहलाये। यदु का राज्य पश्चिम में केन, बेतवा और चम्बल नदियों के प्रदेश में बना। यदु के वंशज यादव हुए।

- प्राचीन भारत में हिन्दू राज्य (बाबू
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जरा धीरे-धीरे ही आँसू बहाना,
जल्दी-जल्दी में सब न गँवाना।
मौके तो और भी अभी आएँगे,
जब दूभर भी होगा मुस्कुराना।